मैं अकेला मैं अकिंचन

Wednesday, December 2, 2009

मैं अकेला मैं अकिंचन
जटिल बंधन में बंधा भी
मुक्ति के मैं गीत गाता
वेदनाएं झेल कर भी
मौन रहता मुस्कराता
यह विवशता है कि नियमन मैं
अकेला मैं अकिंचन
गोल क्षिति कि परिधि
पर चल
क्षितिज पाना चाहता हूँ
और मृग जल से पिपासा
तृप्त करना चाहता हूँ
काम्य का ही सतत चिंतन
मैं अकेला मैं अकिंचन
जल पिया कितना मगर
यह प्यास तो जाती नहीं है
पथ चला कितना मगर
मंजिल नज़र आती नहीं है
सतत संग्रह सतत तर्पण
मैं अकेला मैं अकिंचन
है वही आदर्श जिस तक पहुँच
अपनी हों पाती
धरा भी रवि के चतुर्दिक
घूमती पर छू पाती
सतत गति ही जगत जीवन
मैं अकेला मैं अकिंचन

जगन्नाथ त्रिपाठी

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नाम : जगन्नाथ त्रिपाठी

जन्म : ११.२.1930

ग्राम : भदसा मानवपुर, जनपथ मऊ उत्तर प्रदेश

वृत्ति : वन सेवा से सेवा निवृत्ति १९९०

अभिरुचि : भाषा शास्त्र, काव्य, प्राचीन इतिहास, पुरातत्व विभाग, वानिकी, पर्यावरण

संपर्क - ५५ पन्त नगर गोंडा (उ ० प्र ०) २७१००१
कृतित्व -प्रकाशित :-
१-मधुयामा का स्वप्न (प्रथम संस्करण १९९६ दिसंबर २००१)शेक्सपियर कृत "a mid summer nights dream"का पद्यबद्ध हिंदी अनुवाद
(भूमिका अमरनाथ झा )
२-यह आपको जहाँ तक भाये (२००१)शेक्सपियर कृत as you like it ka पद्य बद्ध हिंदी अनुवाद
३- शिकवा जवाबे शिकवा का पद्य बद्ध हिंदी अनुवाद
४ -उमर खय्याम क रुबाई का (२००६)उमर खय्याम की रुबाईयों का भोजपुरी पद्यानुवाद
५-क्षितिज छूना चाहता हूँ (२००९)काव्य संकलन
६-वांग्मय विमर्श (२००९)लेखों का संग्रह
प्रकाश्य :-
१- प्रसाद कृत आंसू का भोजपुरी अनुवाद

२- शेक्सपियर कृत ट्वेल्थ नाईट का पद्यबद्ध हिंदी अनुवाद
संपादन -पलाश -साहित्यिक पत्रिका गोंडा

२- भोजपुरी बयार गोंडा के अंगना में

३- भोजपुरी -हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोष (निर्माणाधीन )
गीतों के केसेट वन एवं पर्यावरण सम्बन्धी आकाशवाणी लखनऊ को वन विभाग द्वारा प्रदत्त !

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